सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम् श्लोक का अर्थ


 *सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्।*

*प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् एषः धर्मः सनातनः॥*


अर्थात- सत्य बोलना चाहिए किन्तु सभी को प्रिय लगने वाला सत्य ही बोलना चाहिए, उस सत्य को नही बोलना चाहिए जो सर्वजन के लिए हानिप्रद हो, (इसी प्रकार से) उस झूठ को भी नही बोलना चाहिए जो सर्वजन को प्रिय हो, यही सनातन धर्म है।


*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*

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