धनिकः श्रोत्रियो राजा श्लोक का अर्थ
*धनिकः श्रोत्रियो राजा*
*नदी वैद्यस्तु पञ्चमः।*
*पञ्च यत्र न विद्यन्ते*
*न तत्र दिवसं वसेत॥*
अर्थात - जहां कोई सेठ, वेदपाठी विद्वान, राजा, वैद्य और नदी न हो, इन पांच स्थानों पर एक दिन भी नहीं रहना चाहिए।
*🙏💐🌻मङ्गलं सुप्रभातम्🌻💐🙏*
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