एको धर्मः परमं श्रेयः क्षमैका शान्तिरुत्तमा श्लोक का अर्थ


 

विदुरनीतिः


एको धर्मः परमं श्रेयः क्षमैका शान्तिरुत्तमा । 

विद्वैका परमा तृप्तिः अहिंसैका सुखावहा ॥


भावार्थ : - केवल धर्म मार्ग ही परम कल्याणकारी है, - केवल क्षमा ही शांति का सर्वश्रेष्ट उपाय है, केवल ज्ञान ही परम संतोषकारी है तथा केवल अहिंसा ही सुख प्रदान करने वाली है । अतः इन गुणों का अनुसरण करना चाहिए।

Comments

Popular posts from this blog

यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते, निर्घषणच्छेदन श्लोक का

Teej par Sanskrit shlok

गभीरे कासारे विशति विजने घोरविपिने shlok ka arth