गभीरे कासारे विशति विजने घोरविपिने shlok ka arth


गभीरे कासारे विशति विजने घोरविपिने

विशाले शैले च भ्रमति कुसुमार्थं जडमतिः ।

समर्पैकं चेतः सरसिजमुमानाथ भवतो

सुखेनावस्थातुम् जन इह न जानाति किमहो ।।


शिवानन्द लहरी

पूजा हेतु पुष्प के लिए, गहरी सरोवर, निर्जन अरण्य, विशाल पर्वत में घूमते हैं जो बुद्धि हीन हैं । ओ पार्वती पति जी, वो लोग खुद का मन का कमल फूल आपको समर्पित कर, सुख और चैन से रहना समझते नहीं । यह आश्चर्य कि बात है !
 

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